129 "13 दिन की लड़ाई, एक परिवार की जीत — नवोदयंस ने किया असंभव को संभव" - Navodaya Clap

"13 दिन की लड़ाई, एक परिवार की जीत — नवोदयंस ने किया असंभव को संभव"

"13 दिन की लड़ाई, एक परिवार की जीत — नवोदयंस ने किया असंभव को संभव"

Information hindi | By Sidhant Sonkar ji | May 20, 2025


नवोदय के एक WhatsApp ग्रुप में ये संदेश मिला,तो दिल भीतर तक भीग गया।

यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि नवोदय परिवार की एकजुटता, संवेदनशीलता और संघर्ष की असली तस्वीर है।

 

इस घटना ने फिर से ये साबित कर दिया कि नवोदय सिर्फ एक स्कूल नहीं, बल्कि एक ऐसा परिवार है जहाँ रिश्ते खून से नहीं — भावना, अपनापन और संघर्ष से बनते हैं।

 

इसीलिए, इस दिल को छू लेने वाले अनुभव को आप सभी के साथ साझा किया जा रहा है ... ताकि हर नवोदयन को यह एहसास हो सके कि हम अकेले नहीं हैं — हम एक परिवार हैं।

 

🌸 प्रिय बड़े भैया, दीदी और सभी छोटे भाई-बहनों को सादर नमन, 🌸

 

आज मैं जो शब्द लिख रहा हूँ, वो सिर्फ एक संदेश नहीं है — ये एक पूरे मानवीय संघर्ष 🤝, संवेदनाओं की जीत 💓 और नवोदय परिवार की एकजुटता 🫂 की सच्ची मिसाल है।

 

करीब 30 दिन पहले, मेरी बैचमेट नेहा सिंह (JNV Jaunpur & Bhadohi, 2006 Batch Passout) के चचेरे भाई का आकस्मिक निधन ईरान में हो गया था 🌍। परिवार पूरी तरह टूट चुका था 💔 — वे चाहते थे कि उनके लाल का पार्थिव शरीर भारत लाया जाए, ताकि अंतिम दर्शन हो सके... लेकिन 13 दिनों तक हर प्रयास निष्फल रहा ⏳।

 

❗तभी मैंने एक आखिरी उम्मीद के साथ नवोदयन ग्रुप में एक संदेश लिखा 📲 — और वहीं से एक चमत्कार की शुरुआत हुई ✨।

 

सबसे पहले दो जूनियर भाइयों का संदेश आया, फिर राजेश मालवीकी भैया (JNV Pawarkheda Hoshangabad 1995–2002) और दुर्गेन्द्र दीदी (Ayodhya) से बात हुई। उन्होंने कहा —

“काम हो जाएगा, चिंता मत करो...” 💪

और अगले ही पल उन्होंने हमें राम पाण्डेय भैया (JNV Amarkantak, 1996 Passout) से जोड़ा 🔗।

 

💫 और फिर एक प्रकाश की किरण आई — डॉ. रमन शर्मा भैया (JNV Agra) का ईमेल 📧! उनके एक सशक्त ईमेल से ईरान से तत्काल प्रतिक्रिया आई ✅। सिर्फ जवाब ही नहीं आया, बल्कि मृतक के पिता को व्हाट्सएप कॉल तक आई 📞, जिसमें पार्थिव शरीर को भारत भेजने की प्रक्रिया बताई गई ✈️।

 

अगर रमन भैया वह मेल न करते... तो शायद यह शरीर वहीं दफना दिया जाता 🪦।

 

राम पाण्डेय भैया ने न केवल उस प्रक्रिया को तेज किया ⚙️, बल्कि हर कदम पर मार्गदर्शन और हौसला भी दिया 🧭। छुट्टियाँ आईं, अड़चनें आईं, लेकिन नवोदयन हौसले से डिगे नहीं 🚫।

और आखिरकार, 28 तारीख को पार्थिव शरीर भारत पहुंचा और 30 को जौनपुर में उसका अंतिम संस्कार हुआ 🔥।

 

🌹 आज वो माँ-बाप, जो 13 दिन तक अपने बेटे की कोई खबर तक नहीं पा रहे थे, उन्हे अपने बेटे का अंतिम दर्शन नसीब हुआ 👁️‍🗨️।

जब नेहा घर लौटी, तो उसकी चाची बार-बार रोते हुए सिर्फ इतना कह रही थीं —

“सिद्धांत नहीं होता... नवोदय परिवार नहीं होता... तो मेरा लाल यूँ लौट कर न आता..." 😢

 

ये सिर्फ नेहा के परिवार की नहीं, हर उस इंसान की भावनाएं हैं, जिनके जीवन में नवोदय ने उम्मीद की लौ जलाई है 🕯️।

 

 

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🙏 मेरे दिल से विशेष आभार:

💠 डॉ. रमन शर्मा भैया

💠 राम पाण्डेय भैया

💠 राजेश मालवीकी भैया

💠 प्रबोध सिंह भैया (JNV Azamgarh)

 

इन सबने दिन-रात एक कर दिया…

कई मेल, ट्वीट, कॉल… हर स्तर पर कोशिश 📡…

और आखिर में एक अधूरा सपना पूरा हुआ 🌈।

 

रमन भैया और राजेश भैया ने आज भी कहा —

“अगर आगे भी किसी मदद की ज़रूरत पड़ी — चाहे इंश्योरेंस हो या कंपनी के खिलाफ ऐक्शन — हम फिर साथ खड़े होंगे।” 🛡️

 

 

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🌟 यही है नवोदय की ताकत!

जहाँ बैच, साल, क्षेत्र मायने नहीं रखते —

बस एक रिश्ता मायने रखता है — “हम सब नवोदयन हैं।” 💙

 

बारंबार नमन इस नवोदय परिवार को 🙏

धन्यवाद आप सभी को... 🙌

 

आपका छोटा भाई – सिद्धांत सोनकर

💐💙

 

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