Current Affairs | By Admin | Sep 26, 2025
पॉज़िटिव पे सिस्टम (PPS): अब चेक लेन-देन होगा और भी सुरक्षित!
सोचिए – आपने मेहनत से कमाए पैसे से किसी को ₹5 लाख का चेक लिखा। चेक जमा भी हुआ, लेकिन क्लियरेंस के समय कोई छोटी-सी जानकारी बदल दी गई… नाम, तारीख या रकम। अब?
👉 आपके पैसे गलत हाथों में जा सकते हैं!
यही वजह है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) लेकर आया है —
पॉज़िटिव पे सिस्टम (Positive Pay System – PPS)
एक ऐसा सिस्टम जो चेक को और ज़्यादा सुरक्षित बना देता है।
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🔹 पॉज़िटिव पे सिस्टम क्या है?
सीधे शब्दों में — यह एक cross-checking system है।
आप जब भी चेक लिखते हैं, तो उसकी डिटेल्स (जैसे चेक नंबर, तारीख, राशि, और पेयी का नाम) बैंक को पहले से बता देते हैं।
जब चेक बैंकिंग सिस्टम से क्लियर होने जाता है, तो बैंक उस डिटेल को आपके द्वारा दी गई जानकारी से मिलाता है।
सबकुछ मैच हुआ → चेक पास ✅
कोई गड़बड़ → चेक रुक जाएगा ⛔ और बैंक आपसे पुष्टि करेगा।
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🔹 यह कैसे काम करता है?
1. आप चेक जारी करते हैं।
2. मोबाइल/इंटरनेट बैंकिंग, ATM या बैंक शाखा के जरिए उसकी डिटेल्स बैंक को भेजते हैं।
3. चेक क्लियरिंग हाउस में पहुँचता है।
4. बैंक आपकी दी गई जानकारी से उसका मिलान करता है।
5. मैच होने पर → पैसा सेफली ट्रांसफर।
6. न मिलने पर → चेक रोका जाएगा और आपसे संपर्क किया जाएगा।
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🔹 RBI के नियम
अनिवार्य: ₹5,00,000 या उससे अधिक राशि वाले चेक के लिए।
वैकल्पिक (लेकिन सलाह दी जाती है): ₹5,00,000 से कम राशि वाले चेक के लिए।
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🔹 पॉज़िटिव पे सिस्टम के फायदे
✨ सुरक्षा – फर्जीवाड़ा और हेरफेर से बचाव।
✨ पारदर्शिता – लेन-देन में एक और verification layer।
✨ भरोसा – बड़े ट्रांजेक्शन में मन की शांति।
✨ तेज़ निपटान – गड़बड़ी होने पर तुरंत समाधान।
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🔹 क्यों ज़रूरी है आपके लिए PPS?
आज के डिजिटल ज़माने में भी, व्यवसाय और कानूनी लेन-देन में चेक की अहमियत कम नहीं हुई है।
आप ₹50,000 का चेक दें या ₹5 लाख का – PPS आपके पैसों को “गलत हाथों” में जाने से बचाने के लिए एक सुरक्षा कवच है।
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🔹 निष्कर्ष
पॉज़िटिव पे सिस्टम सिर्फ एक बैंकिंग टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि आपके पैसों का बॉडीगार्ड है।
RBI का यह कदम न सिर्फ चेक फ्रॉड को कम करेगा, बल्कि लोगों का भरोसा भी मज़बूत करेगा।
तो अगली बार जब भी आप चेक जारी करें –
👉 “PPS” को अपना सेफ्टी लॉक ज़रूर लगाइए।