Information hindi | By Admin | Sep 18, 2025
🌳 1 करोड़ का पेड़… निकला सिर्फ़ 10 हज़ार का!
यवतमाल की ये कहानी सुनकर शायद आपको हंसी भी आए और हैरानी भी हो।
कहानी की शुरुआत
पुसद तहसील का एक साधारण किसान – केशव तुकाराम शिंदे।
उसकी 2.29 हेक्टेयर ज़मीन रेलवे प्रोजेक्ट में अधिग्रहित हो गई।
उस ज़मीन पर खड़ा था एक सौ साल पुराना विशाल पेड़।
अधिकारियों ने उसे लाल चंदन मान लिया।
अब सोचिए! लाल चंदन का नाम आते ही कीमत आसमान छू जाती है।
नतीजा – बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया कि किसान को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दे।
किसान को इसमें से 50 लाख रुपये मिल भी गए।
असली ट्विस्ट
जब वैज्ञानिक जाँच हुई, तो सच्चाई सामने आई –
वो लाल चंदन नहीं बल्कि बिजासाल (Bijasal) था, जो एक साधारण लकड़ी है।
कीमत?
👉 सिर्फ़ ₹10,981!
यानी –
1 करोड़ का पेड़ निकला 10 हज़ार का।
अब रेलवे ने हाईकोर्ट से कहा – किसान से 50 लाख वापस कराइए।
वहीं किसान का कहना है – “गलती अधिकारियों की थी, मेरी नहीं!”
कहानी की सीख – Navodayans के लिए
1. जाँच-परख ज़रूरी है – केवल सुनी-सुनाई या आधे-अधूरे रिकॉर्ड पर भरोसा करने से नुकसान हो सकता है।
2. गलती की कीमत बड़ी होती है – एक छोटी सी चूक करोड़ों का फर्क डाल सकती है।
3. सच्चाई और अधिकारों के साथ खड़े रहना ज़रूरी है – किसान की तरह, हर इंसान को अपनी बात डटकर रखनी चाहिए।
निचोड़
यह कहानी सिर्फ़ एक पेड़ की नहीं है। यह हमें सिखाती है कि ज़िंदगी और व्यवसाय में सही जानकारी, गहराई से जाँच और समय पर सच्चाई सामने रखना कितना अहम है।